Friday, March 2, 2018

होली

मनसा इंस्टीट्यूट की तरफ से सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।


Thursday, March 1, 2018

मनसा इंस्टीट्यूट सेमिनार 2018


विदित हो कि मनसा इंस्टीट्यूट में 25/02/2018 दिन रविवार को एक सेमिनार आयोजित किया गया, जिसका शीर्षक था यूजीसी नेट में बदले पैटर्न में कैसे करे तैयारी?’
इस सेमिनार में इलाहाबाद के दो एक्सपर्ट आए थे। डा. सतीश चन्द्र एवं डा. अमित कुमार केशरवानी। इन्होंने विद्यार्थियों के सारे कश्मकश दूर करते हुए तैयारी करने औऱ सफलता प्राप्त करने के तरीके बताए। इन्होंने विद्यार्थियों के अन्दर अध्ययन के प्रति रूझान विकसित किया साथ ही ऊर्जा से भर दिया।
मनसा इंस्टीट्यूट समय-समय पर ऐसे ही एक्सपर्ट को बुलाकर विद्यार्थियो का सार्थक मार्गदर्शन करेगा एवं सफलता की ओर अग्रसर करेगा।
मेरे प्यारे विद्यार्थियों। होली भी नजदीक है तो मनसा इंस्टीट्यूट यहीं मन्शा रखता है कि अपनी जिन्दगी रंग-बिरंगी रंगो से गुलजार रहे आप सब अपने लक्ष्य को प्राप्त करे।
मनसा इंस्टीट्यूट की तरफ से सभी विद्यार्थियों एवं स्टाफ को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
                                                            HAPPY HOLI










Friday, January 26, 2018

सफलता और ज्ञान की कसौटी भाग-2

Director- Vandna choubey
प्रथम भाग के लिए दिये गये लिंक पर क्लिक करें- सफलता और ज्ञान की कसौटी 

क्लास में बैठे सभी लोगों पर उसने आश्चर्य भरी नजर डालकर फिर उस शख्स को देखा जो उसका इंटरव्यू लेने उसके सामने बैठ गया था। वो उस स्कूल का माली था। फिर स्कूल के प्रिन्सीपल ने उससे कहा- आपने तो पीसीएस की तैयारी में हिन्दी का भी अध्ययन किया होगाजी हाँ। लड़की ने हल्के गुस्से      से  जवाब दिया।
तो ठीक है। गोपाल जी। आप प्रश्नों की सिलसिला शुरू कीजिए
माली जिसका नाम गोपाल था, उसने अपना गला ठीक किया फिर प्रश्न किया।
                “जिमि सरिता सागर महुँ जाहि।
                 जद्यपि ताहि कामना नाहीं।
                 तिमि सुख संपति बिनहि बोलाएं।
                धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।
इसका अर्थ बताइए। गोपाल ने अपने प्रश्न के समाप्ति के बाद कहा।
 वो लड़की उठ खडी हुई उसने गुस्से में कहा कि उसे अफसोस है कि वो मूर्खों के बीच में है, जहाँ ज्ञान की कसौटी और काबिलियत का ये पैमाना है। एक माली द्वारा पूछे गए चौपाई से ही क्या मेरे ज्ञान की परख होगी। इस लिहाज से तो मंदिर के सारे पंण्डितों को कॉलेजों में प्रोफेसर नियुक्त कर देना चाहिए। मेरी दादी को इस स्कूल का प्रिंसिपल होना चाहिए क्योंकि उन्हें सारे रामायण, रामचरितमानस कंठस्थ है।
प्रिन्सीपल भी तमक कर बोला- आप एक दोहे का अर्थ तो बता नहीं पा रही, फिर बच्चों को क्या पढ़ायेगी”?
लड़की नें पलट कर जवाब दिया- क्या आप मेरे प्रश्न का उत्तर दे सकते है? आप तो प्रिन्सिपल है, थोड़ी बहुत जानकारी आपको हर क्षेत्र की होनी चाहिए। क्या एक प्रश्न का उत्तर ना देने से हम फेल हो जायेगे? क्या किसी विषय के एक दो प्रश्न न बता पाए तो हम नाकाम इंसान है”? फिर उस लड़की ने वहाँ उपस्थित जनों से जो भी प्रश्न किया, उसका जवाब कोई भी नहीं दे पाया।
उस लड़की ने सबको शर्मिदां करते हुए कहा कि आपलोगो का तरीका कितना गलत है। आप मुझे पहले क्लास में बच्चों को पढ़ाने के लिए कहते। वहाँ मेरे पढ़ाने का तरीका देखते। फिर बच्चों से पूछते। बच्चे मुझे पास या फेल करते। कभी-2 कोई टीचर कुछ भूल भी सकता है, इसका ये मतलब नहीं कि वो इंसान अज्ञानी या असफल है। अगर आपको मुझे जॉब नहीं देनी है तो कोई और बहाना ढ़ूढ़िए, मगर शिक्षा के मंदिर को यूँ बदनाम न कीजिए।
 वो लड़की सभी को अवाक् छोड़कर वहाँ से निकल गई फिर उसने सबकुछ भूल अपनी तैयारी जारी रखी। और वक्त ने उसकी मेहनत देखी। एक दिन उसने पीसीएस की प्री और मेंस के साथ इन्टरव्यू में भी सफलता प्राप्त कर ली।
उसका सपना उसके ईमानदार और सच्चे मेहनत ने पूरा कर दिखाया।
दोस्तों अगर हम वाकई ज्ञान रखते है, खुद की काबलियित पर भरोसा है तो फिर दूसरा हमें कितना भी जज करें हम वो बन जायेगे. जिसके काबिल और हकदार हो। बस जरूरत होती है सच्चे लगन और मन से तैयारी की।

 तो दोस्तों अगली बार जब आप किसी इन्टरव्यू या परीक्षा में फेल हो तो निराश न हो बल्कि अपनी काबिलियत पर भरोसा रखते हुए अपनी कमी को दूर कर उत्साह से जिंदगी की भी परीक्षा पास कीजिए, जो सबसे कठिन होता है।

(आज वो लड़की अपने स्टाफ में उस जैसे प्रिंसिपल और टीचर को अपने काम पर रखी है।)



Wednesday, January 24, 2018

सफलता औऱ ज्ञान की कसौटी......



लेखिका- डायरेक्टर वंदना चौबे ।                                                     
एक लड़की ने पीसीएस की तैयारी खूब मन और लगन से किया। मेहनत रंग लाई और उसने प्री तथा मेंस निकाल लिया। बस साक्षात्कार में उसका चयन न हो सका, उसने फिर कोशिश किया मगर सफल न हो सकी। वह निराश तो नहीं हुई मगर निराशा के बादल हौले-हौले छाने लगे थे। इसलिए नहीं कि वह साक्षात्कार में पास न हो सकी बल्कि इसलिए कि उसे कहीं न कहीं जॉब करना था। आर्थिक दृष्टि से कमजोर वो लड़की बस एग्जाम की तैयारी में नहीं बल्कि साथ-साथ कुछ धनोपार्जन भी करना चाहती थी, ताकि दूसरे शहर में रह कर अपने खर्च उठा सकें। वो वही काम करना चाहती थी, जिसके साथ वो न्याय कर सके औऱ न्याय तभी होता जिसमें उसकी रूचि थी। टीचिंग में भी उसके रूचि थी और सिविल की भी तैयारी वह पूरे मनोयोग से कर रही थी। सबसे ज्यादा फोकस सिविल पर था और इस बार वह फेल नहीं होना चाहती थी। उसने साक्षात्कार की तैयारी के लिए कोचिंग करने की ठानी जहाँ वो पर्सनाल्टी डेवलपमेंट कर सके। जहाँ कमी हो उसे दूर कर सके। प्री, मेन्स तो उसने स्वयं की तैयारी से निकाल लिया था मगर इंटरव्यू में उसे मेहनत द्वारा अपने भाग्य आजमाने थे। उसने किसी कोंचिग में पढ़ाने की सोची। मगर कहते है न कि जब काम नहीं बनने होते है तो नहीं ही बनते ही। कोचिंग में कहीं जगह खाली न थी। फिर उसने एक नौकरी सलाहकारी संस्था से सम्पर्क किया। उसने वहाँ पाँच सौ रूपए रजिस्ट्रेशन के लिए जमा कर दिए।
अगले दिन सलाहकारी संस्था के डायरेक्टर उसे एक स्कूल में ले गए। वहाँ उसे एक कमरे में साक्षात्कार के लिए बैठाया गया। वहाँ स्कूल के प्रिंसिपल एवं डायरेक्टर और कुछ टीचर थे। उसका इंटरव्यू लेने के लिए जिसे बुलाया गया उन्हें  देखकर वो अवाक रह गई।.........


 क्या होगा आगे? कौन था वो व्यक्ति? क्या उस लड़की को नौकरी मिली या उसने उससे भी कुछ बड़ा करके दिखाया? जानने कि लिए पढ़े इस प्रेरक कहानी का अगला भाग । 


Tuesday, January 23, 2018

उपाधि समारोह




इलाहाबाद यूनिवर्सिटी निराला सभागार से मानद उपाधि प्राप्त करती डायरेक्टर वंदना चौबे


सरस्वती पूजा 22 जनवरी

मनसा इंस्टीयूट में दिनांक 22 जनवरी को बसंत पंचमी के अवसर पर माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की गयी। उसके बाद प्रसाद वितरण हुआ। माँ सरस्वती सबको शिक्षा और सदबुद्धि प्रदान करें। ये ही मनोकामना है।



     माँ सरस्वती की आराधना करती हुआ डायेरक्टर वंदना चौबे


बसंत पंचमी के अवसर पर उपस्थित सभी जन

दो शब्द डायरेक्टर की कलम से....


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