⇐लेखिका- डायरेक्टर वंदना चौबे ।
एक लड़की ने
पीसीएस की तैयारी खूब मन और लगन से किया। मेहनत रंग लाई और उसने प्री तथा मेंस
निकाल लिया। बस साक्षात्कार में उसका चयन न हो सका, उसने फिर कोशिश किया मगर सफल न
हो सकी। वह निराश तो नहीं हुई मगर निराशा के बादल हौले-हौले छाने लगे थे। इसलिए
नहीं कि वह साक्षात्कार में पास न हो सकी बल्कि इसलिए कि उसे कहीं न कहीं जॉब करना
था। आर्थिक दृष्टि से कमजोर वो लड़की बस एग्जाम की तैयारी में नहीं बल्कि साथ-साथ
कुछ धनोपार्जन भी करना चाहती थी, ताकि दूसरे शहर में रह कर अपने खर्च उठा सकें। वो
वही काम करना चाहती थी, जिसके साथ वो न्याय कर सके औऱ न्याय तभी होता जिसमें उसकी
रूचि थी। टीचिंग में भी उसके रूचि थी और सिविल की भी तैयारी वह पूरे मनोयोग से कर
रही थी। सबसे ज्यादा फोकस सिविल पर था और इस बार वह फेल नहीं होना चाहती थी। उसने साक्षात्कार
की तैयारी के लिए कोचिंग करने की ठानी जहाँ वो पर्सनाल्टी डेवलपमेंट कर सके। जहाँ
कमी हो उसे दूर कर सके। प्री, मेन्स तो उसने स्वयं की तैयारी से निकाल लिया था मगर
इंटरव्यू में उसे मेहनत द्वारा अपने भाग्य आजमाने थे। उसने किसी कोंचिग में पढ़ाने
की सोची। मगर कहते है न कि जब काम नहीं बनने होते है तो नहीं ही बनते ही। कोचिंग
में कहीं जगह खाली न थी। फिर उसने एक नौकरी सलाहकारी संस्था से सम्पर्क किया। उसने
वहाँ पाँच सौ रूपए रजिस्ट्रेशन के लिए जमा कर दिए।
अगले दिन सलाहकारी
संस्था के डायरेक्टर उसे एक स्कूल में ले गए। वहाँ उसे एक कमरे में साक्षात्कार के
लिए बैठाया गया। वहाँ स्कूल के प्रिंसिपल एवं डायरेक्टर और कुछ टीचर थे। उसका
इंटरव्यू लेने के लिए जिसे बुलाया गया उन्हें देखकर वो अवाक रह गई।.........
क्या होगा आगे? कौन
था वो व्यक्ति? क्या उस लड़की को नौकरी मिली या उसने उससे भी
कुछ बड़ा करके दिखाया? जानने कि लिए पढ़े इस प्रेरक कहानी का
अगला भाग ।
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